शोध प्रस्ताव तथा उसके चरण
(Reaearch proposal and its steps)
जैसा कि आप सभी जानते हैं किसी भी अनुसन्धान कार्य को करने के पूर्व शोधार्थी को शोध प्रस्ताव का निर्माण करने की आवश्यकता होती है| शोध प्रस्ताव शोध की रूपरेखा को बताता है| यह शोध का एक खांका तैयार कर देता है जिससे शोधार्थी को आगे शोध को करने में आसानी होती है| अतः शोधार्थी शोध प्रस्ताव का निर्माण निम्नलिखित सोपानों के अनुसार कर सकता/ती है| हालांकि शोध प्रस्ताव के चरण अलग- अलग किताबों में भिन्न तरीके से दी गयी होती है तथा यह कई बार शोधार्थी के शोध निर्देशक पर भी निर्भर करता है कि वह शोध प्रस्ताव के किन चरणों को पहले तथा किन चरणों का बाद में रखते है/ती हैं या किन चरणों के अंतर्गत शोध प्रस्ताव के निर्माण की अपेक्षा शोधार्थी से करते हैं| फिर भी इस आर्टिकल में आप शोध प्रस्ताव के निर्माण के चरणों के विषय में प्रकाश पा सकते हैं तथा इससे एक आईडिया लगा सकते हैं कि आपको आपके शोध प्रस्ताव का निर्माण करने हेतु किन बातों का ध्यान रखना चाहिए| प्रस्तुत शोध प्रस्ताव के सोपानों को शिक्षा शास्त्र विषय को ध्यान में रखकर लिखा गया है-
शोध प्रस्ताव के चरण (Steps of writing research proposal) -
किसी भी शोध प्रस्ताव के निम्नलिखित चरण होते हैं-
1. पृष्ठभूमि (Background)-
शोध कथन का जिन भी परिस्थितियों एवं सन्दर्भों के अंतर्गत शोधार्थी चुनाव करता/ती है उसका उल्लेख पृष्ठभूमि में उसे करना होता है| इसके अंतर्गत शोधार्थी शोध कथन में प्रयुक्त चरों (Variables) की परिभाषा तथा व्याख्या कर सकता/ती है| वह शोध की वर्तमान समय में स्थिति, तथा इससे सम्बंधित पूर्व में हुए शोध, तथा इस विषय की प्रासंगिकता(Relevence) को अत्यंत संक्षेप में बता सकता/ती है|
2. शोध कथन (Statement of the problem)-
इसके अंतर्गत शोध समस्या का कथन लिखा जाता है|
3. पारिभाषिक शब्दावली (Glossary of terms)-
शोध समस्या के चरों की परिभाषा को इसके अंतर्गत लिखा जाता है जिससे यह पता चलता है कि प्रस्तुत शोध में प्रयोग की गयी शब्दावली से शोधार्थी का क्या आशय है| जैसे यदि 'उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की शिक्षण -अधिगम की प्रक्रिया में आई.सी.टी. की प्रभावशीलता का अध्ययन' शोध कथन है तो यहाँ शोधार्थी को उच्चतर माध्यमिक स्तर को परिभाषित करना पड़ेगा कि यहाँ उसका आशय कक्षा 11वीं के विद्यार्थियों से है या 12 वीं के या दोनों ही कक्षा के विद्यार्थियों से है| क्योंकि भारतीय शिक्षा तंत्र में उच्चतर माध्यमिक स्तर से आशय कक्षा 11वीं व 12वीं दोनों ही कक्षाओं से होता है| इसी तरह शोधार्थी को आई.सी.टी. को भी परिभाषित करना पड़ेगा क्योंकि वर्तमान समय में विभिन्न तरह की आई.सी.टी. का प्रयोग शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया में होता है| जैसे स्मार्ट बोर्ड, प्रोजेक्टर, लैपटॉप, इत्यादि| अतः जिस भी सामग्री की प्रभावशीलता का अध्ययन शोधार्थी करना चाहता/ती है उसे आई.सी.टी. के अंतर्गत उसकी परिभाषा देनी होगी|
4. शोध का महत्त्व (Significance of study)-
शोध का महत्त्व चरण में शोधार्थी को यह बताना होता है की उसका शोध क्यों महत्त्वपूर्ण है| इसके लिए वह शोध के महत्त्वपूर्ण होने पर क्या परिवर्तन शिक्षा तंत्र में हो सकते हैं को बता सकता/ती है| जैसे शोध यदि महत्त्वपूर्ण हुआ तो विभिन्न नीतियों, पाठ्यचर्या में क्या परिवर्तन किये जा सकते हैं तथा विद्यालय या विश्वविद्यालय स्तर पर किस तरह के परिवर्तन किये जा सकते हैं इत्यादि की व्याख्या शोधार्थी कर सकता/ती है|
5. शोध का औचित्य (Relevance of study)-
यह शोध प्रस्ताव का महत्त्वपूर्ण चरण होता है| इसमें शोधार्थी को यह बताना होता है कि उसने इस विषय का चयन क्यों किया? तथा उसका शोध इस विषय पर पूर्व में हुए शोधों से अलग कैसे है? सम्बंधित साहित्य की समीक्षा के द्वारा शोधार्थी विषय में हुए पूर्व के शोधों से परिचित होता है तथा उसे उस क्षेत्र में रिक्तता (Gap) का भी पता चलता है और उसे उसकी समस्या को चुनने में भी मदद मिलती है| शोधार्थी जिस कारण समस्या का चुनाव करता है वही उसका औचित्य बन जाता है|
6. सम्बंधित साहित्य की समीक्षा (Review of related literature)-
सम्बंधित साहित्य की समीक्षा शोध प्रस्ताव का अत्यंत महत्त्वपूर्ण चरण है| यह शोधार्थी को पूर्व में हुए शोधों से परिचित करवाता है तथा उसे शोध प्रविधि, टूल के निर्माण इत्यादि में भी मदद करता है| इसके अंतर्गत शोधार्थी विषय से सम्बंधित देश तथ विदेश में पूर्व में हुए शोधों का समीक्षात्मक विवरण संक्षेप में लिखता/ती है|
7. शोध प्रश्न (Research question)-
शोध को करने से पूर्व शोधार्थी के मन जो भी सवाल उठाते हैं उसे ही शोध प्रश्न कहते हैं| शोध प्रश्न हमेशा प्रश्न के रूप में होता है| जैसे- 'उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की शिक्षण -अधिगम की प्रक्रिया में आई.सी.टी. की प्रभावशीलता का अध्ययन' यदि शोध कथन है तो किसी शोधार्थी के मन में निम्नलिखित शोध प्रश्न उत्पन्न हो सकते हैं-
क्या उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के अधिगम पर आई.सी.टी. का प्रभाव पड़ता है? यदि हाँ तो कैसे?
उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में आई.सी.टी.के द्वारा अधिगम होने पर किस तरह का परिवर्तन देखने को मिल सकता है?
आई.सी.टी. की प्रभावशीलता को कैसे माप सकते हैं?
8. शोध परिकल्पना (Research hypothesis)-
शोध परिकल्पना शोध का एक त्वरित उत्तर होता है| इससे शोध प्रश्नों का एक संभावित उत्तर प्रस्तुत किया जाता है तथा बाद में प्रदत्त संकलन के उपरान्त इन्हीं परिकल्पनाओं का परिक्षण कर शोध का निष्कर्ष दिया जाता है तथा परिकल्पना को स्वीकार या अस्वीकर किया जाता है| परिकल्पना केवल मात्रात्मक शोध में बनाया जाता है| गुणात्मक शोध में परिकल्पना की आवश्यकता नहीं होती है|
9. शोध उद्देश्य (Research objective)-
शोध उद्देश्य के अंतर्गत शोधार्थी को यह बताना होता है कि प्रस्तुत शोध को करने के पीछे उसका क्या उद्देश्य है| जैसे उपरोक्त शोध कथन की बात करें तो शोध उद्देश्य होंगे-
उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आई.सी.टी. की प्रभावशीलता का अध्ययन करना|
उच्चतर माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में आई.सी.टी.के द्वारा अधिगम होने पर उनके अधिगम के स्तर में होने वाले परिवर्तन का अध्ययन करना|
आई.सी.टी. की प्रभावशीलता को मापने हेतु टूल का निर्माण करना|
यदि शोधार्थी टूल का निर्माण करेगा/गी तो उपरोक्त शोध उद्देश्य बन सकता है|
10. शोध प्रविधि (Rsearch method) -
शोध प्रविधि भी शोध की प्रकृति पर निर्भर करता है| इसमें शोधार्थी उसके शोध में वह किस विधि का प्रयोग करेगा/गी का वर्णन करता/ती है| जैसे वर्णनात्मक, प्रयोगात्मक, सह्सम्बंधात्मक आदि विधियों को वह लिखेगा/गी|
11. शोध उपकरण (Tool of research)-
शोध उपकरण के द्वारा ही प्रदत्त का संकलन किया जाता है| शोध उपकरण स्वनिर्मित तथा मानकीकृत भी होते हैं| यदि शोध उपकरण शोधार्थी द्वारा स्वयं निर्मित किया गया है तो वह किस प्रकार का उपकरण उपयोग करेगा/गी को इसके अंतर्गत उसे लिखा होगा जैसे- प्रश्नोत्तरी, रेटिंग स्केल, चेक लिस्ट इत्यादि|
12. जनसँख्या एवं प्रतिदर्श (Population and sample)-
शोधार्थी को उसके शोध प्रस्ताव में विशाल जनसंख्या के बारे मे बताना होता है| इसके अंतर्गत उसे बताना होता है कि उसके प्रतिदर्श का आकार क्या होगा तथा वह प्रतिदर्श का चयन किस विधि द्वारा करेगा/गी|
13. प्रदत्तों का विश्लेषण (Analysis of data)-
प्र्दत्तों का विश्लेषण भी शोध की प्रकृति पर निर्भर करता है| जैसे मात्रात्मक शोध में शोध का विश्लेषण दो तरीके से किया जाता है - वर्णनात्मक विश्लेषण तथा आनुमानिक विश्लेषण| वर्णनात्मक विश्लेषण में केंद्रीय प्रवृत्ति का माप किया जाता है तथा आनुमानिक विश्लेषण में परिकल्पना का परीक्षण करने के लिए टी. परीक्षण, अनोवा,अनकोवा इत्यादि का प्रयोग दो या दो से अधिक प्रतिदर्शों के आधार पर किया जाता है| अतः शोध प्रस्ताव में इसका उल्लेख शोध की प्रकृति के अनुसार किया जा सकता है|
14. शोध का परिसीमन(Delimitation of research) -
शोधार्थी का शोध कहाँ तक सीमित है उसे इसमें बताना होता है| जैसे उपरोक्त शोध कथन के परिसीमन की बात करें तो शोधार्थी को यह स्पष्ट रूप से बताना होगा कि उसका शोध किस राज्य के किस जिले के किन विद्यालयों के किन कक्षाओं तक सीमित है तथा चयनित कक्षाओं के कितने विद्यार्थियों को शोध में सम्मिलित किया जायेगा|
15. सन्दर्भ ग्रन्थ सूची (References)-
अंत में शोध प्रस्ताव के निर्माण हेतु शोधार्थी ने जिन भी पुस्तकों, आलेखों, प्रपत्रों तथा इन्टरनेट के किसी भी वेबसाइट का सहयोग लिया है, को लिखना होता है|
इस प्रकार उपरोक्त चरणों को ध्यान में रखकर शोधार्थी शोध प्रस्ताव का निर्माण कर सकता/ती है|
Very Interesting and Useful Information.....
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